डीएसटी ने ऊर्जा परिवर्तन में हाइड्रोजन पर मिशन इनोवेशन कार्यशाला में भाग लिया

विज्ञान और प्रौद्योगिकि विभाग (डीएसटी) ने बेल्जियम के एंटवर्प में आयोजित मिशन इनोवेशन हाड्रोजन वैलीज कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यशाला में ऊर्जा परिवर्तन में हाइड्रोजन के महत्व को प्रदर्शित किया गया। इसके लिए “हाइड्रोजन वैलीज” की अवधारणा को रेखांकित किया गया।

“हाइड्रोजन वैली” एक भौगोलिक क्षेत्र है। यह एक शहर, एक क्षेत्र, एक द्वीप या एक औद्योगिक क्लस्टर हो सकता है जहाँ हाइड्रोजन के विभिन्न अनुप्रयोगों को एक एकीकृत हाइड्रोजन पारितंत्र में संयोजित किया जाता है, जो विशेष रूप से हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं। इससे परियोजना के अर्थशास्त्र में सुधार होता है। आदर्श स्थिति के तहत इसे हाइड्रोजन की संपूर्ण श्रृंखला – उत्पादन, भंडारण, वितरण और अंतिम उपयोग को अपने दायरे लेना चाहिए।

डीएसटी के प्रौद्योगिकी मिशन प्रभाग (ऊर्जा और जल) के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. रंजीत कृष्ण पाई ने नवीकरणीय व स्वच्छ हाइड्रोजन पर भारत की वर्तमान स्थिति से संबंधित एक प्रस्तुति दी। उन्होंने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी, भंडारण और स्थानीय वितरण, ऊर्जा की अधिक खपत वाले उद्योगों में हाइड्रोजन और अन्य संबंधित मुद्दों पर आयोजित सत्रों में भाग लिया।

दो दिवसीय कार्यशाला 27 मार्च, 2019 को आयोजित की गई थी जहाँ मिशन इनोवेशन के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने पहले “हाइड्रोजन वैली” परियोजना के बारे में अपने विचार साझा किये। प्रतिनिधियों ने मिशन इनोवेशन से संबंधित सूचनाओं को साझा करने के लिए एक प्लेटफॉर्म की अवधारणा पर सहमति व्यक्त की। यह मंच इस प्रौद्योगिकी को व्यावहारिक समाधान बनाने के लिए एक विकल्प साबित हो सकता है।

कार्यशाला में 80 से अधिक प्रतिनिधियों ने प्रारंभिक अवस्था वाले  “हाइड्रोजन वैली” परियोजनाओँ में रूचि दिखाई। प्रतिभागियों में सरकार, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, उद्योग जगत और शोध के प्रतिनिधि शामिल थे।

भविष्य के ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन पर आधारित 14 प्रस्तुतियां दी गई। प्रस्तुति देने वाले देश थे – ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, चिली, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, इंग्लैंड और अमेरिका । इसके अतिरिक्त पोर्ट ऑफ एंटवर्प और हाइड्रोजन परिषद ने अपने इनपुट दिए। विभिन्न प्रकार की परियोजनाओँ की प्रस्तुति दी गई जैसे उद्योग संचालित क्लस्टर, बंदरगाह, समुदाय और क्षेत्र जिनके पास प्रचूर मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा भंडार हैं, समुदाय जो वायु प्रदूषण से निपटने के दवाब में में हैं, खनन स्थल, ज्ञान से संचालित समुदाय आदि। कार्यशाला में सार्वजनिक व निजी, दोनों ही क्षेत्रों के बहुराष्ट्रीय अनुसंधान और बड़े पैमाने पर किये गये प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यशाला में उद्योग परिचालित सफलताओं को रेखांकित किया गया जिनमें वाणिज्यिक और स्वच्छ हाइड्रोजन उद्योगों के लिए वास्तविक संभावना है।

स्थायित्व पर परिचर्चा हुई। स्थायित्व व्यावसायिकरण, विद्युत घनत्व में सुधार, सामग्री, एकरूपता और ईंधन भरने के लिए अवसंरचना  - भंडारण टंकी के समान ईंधन भरने की स्वचालित विधि, इंटरफेस, मापन और गुणवत्तापूर्ण उपकरण, गैर-ऑटो अनुप्रयोगों के लिए आसानी से ले जाने लायक भंडारण उपकरण आदि के लिए महत्वपूर्ण है। मात्रा व लागत को ध्यान में रखते हुए विनिर्माण की क्षमता – जैसे उपकरणों की संख्या में कमी करना, वैकल्पिक और किफायती सामग्री, विनिर्माण प्रक्रिया को बेहतर बनाना और फोटोकैटलिस्ट का विकास आदि विषयों पर भी विचरा-विमर्श किया गया। जल / हाइड्रोजन सल्फाइड को हाइड्रोजन / कार्बनिक प्रदूषकों के फोटोकंपोजिशन के रूप में विघटित करने के लिए नये उत्प्रेरकों (कैट लिस्ट) का विकास जो सूर्य के प्रकाश में भी उपयोगी हों। उक्त विषयों पर भी विचार-विमर्श हुआ।

विचार-विमर्श के अन्य क्षेत्र निम्न थे

  • पीपीपी मोड में कार्य करने के लिए संस्थानों / उद्योगों की पहचान की जा सकती है। इलेक्ट्रोकेमिकल स्टैक के उत्पादन के लिए आवश्यक तकनीक को हासिल किया जा सकता है या स्वदेशी रूप में विकसित किया जा सकता है।
  • सेमीकंडक्टर के उपयोग के जल के फोटो-विभाजन के जरिए हाइड्रोजन उत्पादन में फोटो इलेक्ट्रोकेमिकल मापन के लिए व्यापक शोध व अनुसंधान (आर एंड डी) की आवश्यकता है।
  • हल्के हाइड्रोजन सिलिंडर के लिए सामग्री विकसित करना जरूरी है। हाइड्रोजन के भंडारण के लिए हल्की मिश्रित सामग्री का विकास किया जाना चाहिए जो आग और टूट-फूट का प्रतिरोधक भी हो।
  • क्रायोजनिक प्रेशर वेसेल उच्च घनत्व पर हाइड्रोजन गैस का भंडारण कर सकते हैं। इसमें वाष्पीकरण से होने वाली क्षति भी नहीं होती है और यह किफायती भी है।
  • हलाँकि इनमें उच्च क्षमता के ताप-अवरोध (इनसुलेशन) की जरूरत होती है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाने वाले उपकरणों में कम तापमान बनाए रखना भी एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
  • जमीन पर भंडारण और वाणिज्यिक परिवहन के लिए भंडारण वाले सिंलिडरों की उपयुक्तता पर उद्योग जगत की सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता है। हाइड्रोजन ईंधन की गुणवत्ता तथा दबाव पर भी स्पष्ट निर्देश होने चाहिए।
  • पारंपरिक (मेटल हाइड्राइड्स) और नयी (काम्पेलम्स हाइड्राइड, मेटल-आर्गेनिक फ्रेमवर्क) दोनों ही प्रकार की भंडारण सामग्री का बड़े पैमाने पर निर्माण – क्षमता विकसित की जानी चाहिए।
  • लिक्विड आर्गेनिक हाइड्राइड और अन्य लिक्विड हाइड्रोकार्बन, जिनमें हाइड्रोजन भंडारण की उच्च क्षमता हो, पर गहन शोध किया जाना चाहिए।
  • खर्च की दृष्टि से हाइड्रोजन वाहन, बाजार के वर्तमान वाहनों से मुकाबला नहीं कर सकते। इसलिए विभिन्न देशों की सरकारें इन वाहनों के विकास और प्रोत्साहन के लिए समर्थन प्रदान कर रही हैं।

कार्यशाला ने नवीकरणीय और स्वच्छ हाइड्रोजन चुनौती को आगे ले जाने का आधार तैयार कर दिया है। विभिन्न देश बड़े पैमाने पर अनुसंधान व विकास गतिविधियों को आगे ले जा सकते हैं। इनमें संपूर्ण मूल्य श्रृंखला शामिल है- हाइड्रोजन उत्पादन, वितरण और उपयोग। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सूचनाओं को भी साझा किया जा सकता है। इससे बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत होगी जैसे राष्ट्रीय तैनाती की निगरानी (डेटाबेस) बहुराष्ट्रीय परियोजनाओं की शुरुआत जिसमें संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को प्रदर्शित किया जा सकता हो ताकि अभिनव अवधारणाओँ व नयी तकनीकों की दक्षता सिद्ध हो तथा जागरूकता बढ़ाना और सहमति के वातावरण का निर्माण करना आदि।